Thursday, July 19, 2018

ख़ंजरे दस्त अब गया किस्सा हुआ

जी गँवा बैठा है कहता क्या हुआ
किस क़दर है आदमी बहका हुआ

चाँद जब निकला न था तो वो था हाल
और जब निकला तो हो हल्ला हुआ

उसको तो मालूम होना चाहिए
रात भर जिसका यहाँ चर्चा हुआ

ज़ख़्म देना है चला तीरे नज़र
ख़ंजरे दस्त अब गया किस्सा हुआ

हुस्न के लासे में चिपका हर बशर
या हुआ ग़ाफ़िल के दीवाना हुआ

-‘ग़ाफ़िल’

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