Saturday, July 21, 2018

ग़ाफ़िल को नुक़्सान रहेगा

तू कब तक नादान रहेगा
यह कहना आसान रहेगा

दिल में रहे न रहे हमारे
मन्दिर में भगवान रहेगा

सच ही मरेगा हुक़्मरान के
जब तक केवल कान रहेगा

दौरे तरक़्क़ी होगा न क्या कुछ
लेकिन क्या इंसान रहेगा

मैं न रहूँगा तुम न रहोगे
पर अपना अभिमान रहेगा

बज़्मे अदब में पीने पिलाने
का भी क्या सामान रहेगा

कितना ही कुछ कर ले जमा पर
ग़ाफ़िल को नुक़्सान रहेगा

-‘ग़ाफ़िल’

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