तू कब तक नादान रहेगा
यह कहना आसान रहेगा
दिल में रहे न रहे हमारे
मन्दिर में भगवान रहेगा
सच ही मरेगा हुक़्मरान के
जब तक केवल कान रहेगा
दौरे तरक़्क़ी होगा न क्या कुछ
लेकिन क्या इंसान रहेगा
मैं न रहूँगा तुम न रहोगे
पर अपना अभिमान रहेगा
बज़्मे अदब में पीने पिलाने
का भी क्या सामान रहेगा
कितना ही कुछ कर ले जमा पर
ग़ाफ़िल को नुक़्सान रहेगा
-‘ग़ाफ़िल’
यह कहना आसान रहेगा
दिल में रहे न रहे हमारे
मन्दिर में भगवान रहेगा
सच ही मरेगा हुक़्मरान के
जब तक केवल कान रहेगा
दौरे तरक़्क़ी होगा न क्या कुछ
लेकिन क्या इंसान रहेगा
मैं न रहूँगा तुम न रहोगे
पर अपना अभिमान रहेगा
बज़्मे अदब में पीने पिलाने
का भी क्या सामान रहेगा
कितना ही कुछ कर ले जमा पर
ग़ाफ़िल को नुक़्सान रहेगा
-‘ग़ाफ़िल’
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