Tuesday, July 10, 2018

चाहता हूँ के तुझे शौक से गा दूँ जो कहे

जाम होंटों का अभी तुझको चखा दूँ जो कहेे
ऐसे उल्फ़त को ज़रा मैं भी हवा दूँ जो कहे

न ख़बर होगी ज़माने को न टूटेगा पहाड़
इस तरह रूहो बदन आज मिला दूँ जो कहे

ये तेरा हक़ है न शरमा तू ज़रा भी ऐ दिल
मैं वो हर चीज़ तेरे वास्ते ला दूँ जो कहे

चाँद तारों पे जो मुद्दत से नज़र है तेरी
चाँद तारों से तेरी मांग सजा दूँ जो कहे

गो हूँ पर तुझसे मैं ग़ाफ़िल हूँ कहाँ जाने ग़ज़ल
चाहता हूँ के तुझे शौक से गा दूँ जो कहे

-‘ग़ाफ़िल’

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