अरे आ तुझे प्यार करना सिखा दूँ
तुझे आज मैं जिन्दगी का मज़ा दूँ
कली फूल ख़ुश्बू क्या पूरा चमन ही
तिरे रास्ते मैं मेरी जाँ बिछा दूँ
हम उश्शाक़ की है सितारों से यारी
करे जी, तिरा आज दामन सजा दूँ
अभी जो लिखा इश्क़ का एक नग्मा
इजाज़त तो हो के तुझे मैं सुना दूँ
न बाकी रहे अब कोई रस्मे उल्फ़त
इशारा तो कर दे मैं ख़ुद को लुटा दूँ
ज़ुरूरी हुआ आज ग़ाफ़िल जी बोलो
शरारा-ए-उल्फ़त को कैसे हवा दूँ
-‘ग़ाफ़िल’
तुझे आज मैं जिन्दगी का मज़ा दूँ
कली फूल ख़ुश्बू क्या पूरा चमन ही
तिरे रास्ते मैं मेरी जाँ बिछा दूँ
हम उश्शाक़ की है सितारों से यारी
करे जी, तिरा आज दामन सजा दूँ
अभी जो लिखा इश्क़ का एक नग्मा
इजाज़त तो हो के तुझे मैं सुना दूँ
न बाकी रहे अब कोई रस्मे उल्फ़त
इशारा तो कर दे मैं ख़ुद को लुटा दूँ
ज़ुरूरी हुआ आज ग़ाफ़िल जी बोलो
शरारा-ए-उल्फ़त को कैसे हवा दूँ
-‘ग़ाफ़िल’
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