कोयलों के बीच कौवे की बयानी किसलिए
शर्मकर ख़ामोश रह ये लंतरानी किसलिए
ख़्वाहिशों के सिलसिले थे, चाँद शब थी और मैं
अब न हैं वे मस्अले फिर शब सुहानी किसलिए
जब हवाएं मिह्रबाँ थीं तो हुई क़श्ती रवाँ
सोचता हूँ नाख़ुदा की फिर प्रधानी किसलिए
आख़िरत में कह रहा है उम्र गुज़री है फ़ज़ूल
गो हक़ीक़त है मगर अब ये बयानी किसलिए
अब मेरी तन्हाहियाँ मुझको बहुत भाने लगीं
फिर मेरे मिलने बिछड़ने की कहानी किसलिए
फिक़्र ग़ाफ़िल को नहीं है सुनके भी चीखो पुकार
ख़ूँ रगों में तो है लेकिन मिस्ले पानी किसलिए
-‘ग़ाफ़िल’
शर्मकर ख़ामोश रह ये लंतरानी किसलिए
ख़्वाहिशों के सिलसिले थे, चाँद शब थी और मैं
अब न हैं वे मस्अले फिर शब सुहानी किसलिए
जब हवाएं मिह्रबाँ थीं तो हुई क़श्ती रवाँ
सोचता हूँ नाख़ुदा की फिर प्रधानी किसलिए
आख़िरत में कह रहा है उम्र गुज़री है फ़ज़ूल
गो हक़ीक़त है मगर अब ये बयानी किसलिए
अब मेरी तन्हाहियाँ मुझको बहुत भाने लगीं
फिर मेरे मिलने बिछड़ने की कहानी किसलिए
फिक़्र ग़ाफ़िल को नहीं है सुनके भी चीखो पुकार
ख़ूँ रगों में तो है लेकिन मिस्ले पानी किसलिए
-‘ग़ाफ़िल’
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