सोचता हूँ कहीं तू ख़फ़ा तो नहीं
यूँ नज़र फेर लेना बज़ा तो नहीं
दिल धड़कने लगा क्यूँ मेरा यकबयक
हाथ से फिर तेरे वह गिरा तो नही?
थी नज़र क्या लड़ी होश गुम है मेरा
हादिसे में तेरा कुछ गया तो नहीं?
दिल तड़पता रहा और कहता रहा
शाद मैं हूँ मुझे कुछ हुआ तो नहीं
घर जले की शिक़ायत हो क्यूँ आग से
आग तेरी तरह बेवफ़ा तो नहीं
एक ग़ाफ़िल हो और तेरी तीरे नज़र
चाहता ही रहा यूँ हुआ तो नहीं
-‘ग़ाफ़िल’
यूँ नज़र फेर लेना बज़ा तो नहीं
दिल धड़कने लगा क्यूँ मेरा यकबयक
हाथ से फिर तेरे वह गिरा तो नही?
थी नज़र क्या लड़ी होश गुम है मेरा
हादिसे में तेरा कुछ गया तो नहीं?
दिल तड़पता रहा और कहता रहा
शाद मैं हूँ मुझे कुछ हुआ तो नहीं
घर जले की शिक़ायत हो क्यूँ आग से
आग तेरी तरह बेवफ़ा तो नहीं
एक ग़ाफ़िल हो और तेरी तीरे नज़र
चाहता ही रहा यूँ हुआ तो नहीं
-‘ग़ाफ़िल’
No comments:
Post a Comment