झूठै शोर मचायौ है शैतान कहाँ
मुखिया बोले झुनिया भै हलकान कहाँ
अब हमरी रक्षा करिहौ ऊपर वाले
कहाँ सबन कै ताना हमरी जान कहाँ
जेल काटि कै झबरा तौ आवा लेकिन
केहू बतावै फूँके रहा मकान कहाँ
भागा रहा निरहुआ तबसे नै लउटा
तुँही कहौ फिर फूँकिस ऊ खरिहान कहाँ
गाँव के सगरौ मनइन कै यक्कै रोना
निबरू बनिया के जइसन ईमान कहाँ
बूढ़ा बरगद अक़्सर पूछै ओ ग़ाफ़िल
झुरई काका वाला हिन्दुस्तान कहाँ
-‘ग़ाफ़िल’
मुखिया बोले झुनिया भै हलकान कहाँ
अब हमरी रक्षा करिहौ ऊपर वाले
कहाँ सबन कै ताना हमरी जान कहाँ
जेल काटि कै झबरा तौ आवा लेकिन
केहू बतावै फूँके रहा मकान कहाँ
भागा रहा निरहुआ तबसे नै लउटा
तुँही कहौ फिर फूँकिस ऊ खरिहान कहाँ
गाँव के सगरौ मनइन कै यक्कै रोना
निबरू बनिया के जइसन ईमान कहाँ
बूढ़ा बरगद अक़्सर पूछै ओ ग़ाफ़िल
झुरई काका वाला हिन्दुस्तान कहाँ
-‘ग़ाफ़िल’
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (20-10-2015) को "हमारा " प्यार " वापस दो" (चर्चा अंक-20345) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'