इश्क़ में तो जीत जाना हार है
है यही सच पर मुझे इनकार है
बारहा खाया हूँ मैं जिससे शिकस्त
वह नज़र के तीर का ही वार है
आँख शीशे की हुई पत्थर का दिल
ऐसी ही ख़ूबी का मेरा यार है
जानते हो क्यूँ तमाशा हो रहा
मर्तबे से ही सभी को प्यार है
मैं बताऊँ आईना टूटा है क्यूँ
सामने आया जो पर्दादार है
आ रहा रोना मिज़ाजे इश्क़ पर
याँ रक़ीबों की अजब भरमार है
शे’र तो शब भर कहे पर इक न वाह
कौन सी यह रस्मे महफ़िल यार है
एक क़त्आ-
एक तो हैं आबलों के पा मिरे
और राहे इश्क़ भी पुरख़ार है
बढ़ चुके तो हैं क़दम पर यूँ लगे
यार से मिलना बहुत दुश्वार है
मक़्ता-
शह्र यह चोरों का है ग़ाफ़िल जी क्या
दिल हुआ चोरी सरे बाज़ार है
-‘ग़ाफ़िल’
है यही सच पर मुझे इनकार है
बारहा खाया हूँ मैं जिससे शिकस्त
वह नज़र के तीर का ही वार है
आँख शीशे की हुई पत्थर का दिल
ऐसी ही ख़ूबी का मेरा यार है
जानते हो क्यूँ तमाशा हो रहा
मर्तबे से ही सभी को प्यार है
मैं बताऊँ आईना टूटा है क्यूँ
सामने आया जो पर्दादार है
आ रहा रोना मिज़ाजे इश्क़ पर
याँ रक़ीबों की अजब भरमार है
शे’र तो शब भर कहे पर इक न वाह
कौन सी यह रस्मे महफ़िल यार है
एक क़त्आ-
एक तो हैं आबलों के पा मिरे
और राहे इश्क़ भी पुरख़ार है
बढ़ चुके तो हैं क़दम पर यूँ लगे
यार से मिलना बहुत दुश्वार है
मक़्ता-
शह्र यह चोरों का है ग़ाफ़िल जी क्या
दिल हुआ चोरी सरे बाज़ार है
-‘ग़ाफ़िल’
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (24-10-2015) को "क्या रावण सचमुच मे मर गया" (चर्चा अंक-2139) (चर्चा अंक-2136) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'