तुम्हारे पास झूठी शेखियों का गर पिटारा है
सुलगता सा हमारे दिल में भी कोई शरारा है
लुटेरे इस वतन के ही रहे हैं लूट अब अस्मत
सुनी क्या चीख? भारत माँ ने फिर हमको पुकारा है
के डालो फूट और शासन करो की नीति देखो अब
बदल कर रूप भारत में उठाई सर दुबारा है
सबक सीखें भला बीते हुए लम्हों से हम कैसे
कभी मुड़ कर के देखें हम, नहीं हमको गवारा है
हैं भारत माँ के जो लख़्ते जिगर सोए हुए हैं सब
कोई थककर है सोया और किसी का ड्रग सहारा है
तमाशा रोज़ का है गर कहे तो क्या कहे ग़ाफ़िल
कोई है हार कर जीता कोई जीता तो हारा है
-‘ग़ाफ़िल’
सुलगता सा हमारे दिल में भी कोई शरारा है
लुटेरे इस वतन के ही रहे हैं लूट अब अस्मत
सुनी क्या चीख? भारत माँ ने फिर हमको पुकारा है
के डालो फूट और शासन करो की नीति देखो अब
बदल कर रूप भारत में उठाई सर दुबारा है
सबक सीखें भला बीते हुए लम्हों से हम कैसे
कभी मुड़ कर के देखें हम, नहीं हमको गवारा है
हैं भारत माँ के जो लख़्ते जिगर सोए हुए हैं सब
कोई थककर है सोया और किसी का ड्रग सहारा है
तमाशा रोज़ का है गर कहे तो क्या कहे ग़ाफ़िल
कोई है हार कर जीता कोई जीता तो हारा है
-‘ग़ाफ़िल’
बहुत सुन्दर और सटीक ग़ज़ल...
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शर्मा जी
Delete