हुस्न ने की जो बेवफ़ाई है
इश्क़ की आबरू पे आई है
उसका पीछा नहीं मैं छोड़ूंगा
क्या करूँ दिल पे चोट खाई है
आज गुस्ताख़ हो न जाऊँ मैं
वह जो नाज़ो अदा से आई है
हुस्न वालों का यक़ीं मत करना
इनकी फ़ित्रत में बेवफ़ाई है
आज देखा तो चाँद छत पर था
या ख़ुदा क्या तिरी ख़ुदाई है
ज़ुल्फ़े ज़िंदाँ में कैद हूँ अब तो
दार है अब कहाँ रिहाई है
-‘ग़ाफ़िल’
इश्क़ की आबरू पे आई है
उसका पीछा नहीं मैं छोड़ूंगा
क्या करूँ दिल पे चोट खाई है
आज गुस्ताख़ हो न जाऊँ मैं
वह जो नाज़ो अदा से आई है
हुस्न वालों का यक़ीं मत करना
इनकी फ़ित्रत में बेवफ़ाई है
आज देखा तो चाँद छत पर था
या ख़ुदा क्या तिरी ख़ुदाई है
ज़ुल्फ़े ज़िंदाँ में कैद हूँ अब तो
दार है अब कहाँ रिहाई है
-‘ग़ाफ़िल’
उम्दा
ReplyDeleteआभार आदरणीय कालीपद जी
Deleteहुस्न वालों का यक़ीं मत करना
ReplyDeleteइनकी फ़ित्रत में बेवफ़ाई है
क्या खूब.