एक मंज़िल था अब रास्ता रह गया
देखिए क्या था मैं और क्या रह गया
फिर वही का वही फ़ासिला रह गया
तू रहा और मैं देखता रह गया
ख़त से मज़मून सारे नदारद हुए
अब लिफ़ाफ़े पे केवल पता रह गया
घर के अफ़्राद जाने कहाँ खो गए
मैं सजा एक तस्वीर सा रह गया
क्या ज़माने की ऐसी हैं ख़ुदग़र्ज़ियाँ
जो के ज़र से फ़क़त वास्ता रह गया
आईने का वो गुस्सा अरे बाप रे!
उसको देखा तो बस देखता रह गया
जब उठा ही दिया आपने बज़्म से
अब मुझे और कहने को क्या रह गया
कौन है मेरी बर्बादियों का सबब
सोचने जो लगा सोचता रह गया
बारहा क्यूँ तसव्वुर में आता है तू
बोल तेरा यहाँ और क्या रह गया
था गुमाँ रंग लाएगी महफ़िल तेरी
मैं यहाँ भी लुटा का लुटा रह गया
आज की चाल में था उछाल और ही
टूट इक्का गया बादशा रह गया
लज़्ज़ते हिज्र तारी रही इस क़दर
वस्ल का जोश था ज्यूँ, धरा रह गया
रोज़ की तर्ह फिर गुम मनाज़िल हुईं
शुक्र है पर मेरा रास्ता रह गया
आख़िरी वक़्त पर क्या मुसलमान हों
सोचकर क्यूँ यही मैं जो था रह गया
आह! यह क्या हुआ साथ मेरे ग़ज़ब
मैं गया टूट और आईना रह गया
रू-ब-रू शर्बती चश्म ग़ाफ़िल थे गो
तिश्नगी का मगर सिलसिला रह गया
-‘ग़ाफ़िल’
देखिए क्या था मैं और क्या रह गया
फिर वही का वही फ़ासिला रह गया
तू रहा और मैं देखता रह गया
ख़त से मज़मून सारे नदारद हुए
अब लिफ़ाफ़े पे केवल पता रह गया
घर के अफ़्राद जाने कहाँ खो गए
मैं सजा एक तस्वीर सा रह गया
क्या ज़माने की ऐसी हैं ख़ुदग़र्ज़ियाँ
जो के ज़र से फ़क़त वास्ता रह गया
आईने का वो गुस्सा अरे बाप रे!
उसको देखा तो बस देखता रह गया
जब उठा ही दिया आपने बज़्म से
अब मुझे और कहने को क्या रह गया
कौन है मेरी बर्बादियों का सबब
सोचने जो लगा सोचता रह गया
बारहा क्यूँ तसव्वुर में आता है तू
बोल तेरा यहाँ और क्या रह गया
था गुमाँ रंग लाएगी महफ़िल तेरी
मैं यहाँ भी लुटा का लुटा रह गया
आज की चाल में था उछाल और ही
टूट इक्का गया बादशा रह गया
लज़्ज़ते हिज्र तारी रही इस क़दर
वस्ल का जोश था ज्यूँ, धरा रह गया
रोज़ की तर्ह फिर गुम मनाज़िल हुईं
शुक्र है पर मेरा रास्ता रह गया
आख़िरी वक़्त पर क्या मुसलमान हों
सोचकर क्यूँ यही मैं जो था रह गया
आह! यह क्या हुआ साथ मेरे ग़ज़ब
मैं गया टूट और आईना रह गया
रू-ब-रू शर्बती चश्म ग़ाफ़िल थे गो
तिश्नगी का मगर सिलसिला रह गया
-‘ग़ाफ़िल’
ReplyDeleteख़त से मज़मून सारे नदारद हुए
अब लिफ़ाफ़े पे केवल पता रह गया
वाह ! बहुत खूब
आभार अनीता जी
Deleteआपने बज़्म से जब उठा ही दिया
ReplyDeleteअब मुझे और कहने को क्या रह गया
वाह मज़ा आ गया।