बात सीने में दबाने से भला क्या हासिल
इस तरह ख़ुद को सताने से भला क्या हासिल
एक सैलाब भी है प्यास भी तो ज़ाहिर है
आँख अब और चुराने से भला क्या हासिल
होश को जोश गर आ जाय तो मुमक़िन है सब
जोश में होश गवाने से भला क्या हासिल
आईना ख़ूब ही जाने है हक़ीक़त तेरी
उसको बन ठनके रिझाने से भला क्या हासिल
जाम होंटों का कोई चख के यही सोचेगा
मै को अब हाथ लगाने से भला क्या हासिल
इश्क़ नेमत है अगर यह न हुआ हासिल तो
सोच ग़ाफ़िल है ज़माने से भला क्या हासिल
-‘ग़ाफ़िल’
इस तरह ख़ुद को सताने से भला क्या हासिल
एक सैलाब भी है प्यास भी तो ज़ाहिर है
आँख अब और चुराने से भला क्या हासिल
होश को जोश गर आ जाय तो मुमक़िन है सब
जोश में होश गवाने से भला क्या हासिल
आईना ख़ूब ही जाने है हक़ीक़त तेरी
उसको बन ठनके रिझाने से भला क्या हासिल
जाम होंटों का कोई चख के यही सोचेगा
मै को अब हाथ लगाने से भला क्या हासिल
इश्क़ नेमत है अगर यह न हुआ हासिल तो
सोच ग़ाफ़िल है ज़माने से भला क्या हासिल
-‘ग़ाफ़िल’
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